जीवन का सत्य........
अरे साहब घर बैठे बैठे घर घर नही जेल लगने लगा है । अभी कुछ ही दिनों पहले ही तो शादी हुई थी पर अब ख्याल आया " क्यों " हुई थी ऐसा लगता मेरे वजूद पे बीवी नही एक दरोगा तैनात कर दिया गया आखिर वो खुशी कहा चली जब शादी के अरमान लिए दिन गिन रहे थे । मानो एक एक दिन सदियों बराबर लगता था आखिर में वो दिन आया शादी हो गई । बस अब यही कोशिश होती कोई बहाना मिले और मैं घर पहुँच सकू । अब तो दोस्तों की महफ़िल भी वीरान खंडार जैसी मालूम होती थी । उनसे मिलने का तो मन ही नहीं करता था । एक नया दोस्त जिंदगी में जो आ गया था काम खत्म करके जल्दी घर पहुचने की हमेशा जल्दी रहती । अभी शादी के पन्द्रह दिन ही गुज़रे थे, सब कुछ बहुत हसीन ओर सुहाना लगता था श्रीमती जी का फ़ोन करके ये पूछना कि आज खाने में क्या खाओगे , ऐसा लगता था कि मानो उसकी आवाज़ में सारंगी बज उठी हो। एक अजीब का लुत्फ था ज़िन्दगी में तभी किसी की बुरी नज़र लग मेरी खुशियो को। जितना मैं घर जाने को बेकरार रहता था अब उससे अधिक घर से बाहर जाने को हूँ। अब आप सोचेंगे ऐसा क्या हो गया , शायद आपको बताने की ज़रूरत नही , जी हाँ!!! आप समझ गए। एक क्रोना नाम मेहमान हिंदुस्तान आ गया सारी महेरबानी चीन की है अरे साहब खुशियो को जहन्नम बना दिया, ऐसी टच वाली बीमारी बनाई है, घर के बाहर झांक के देखो तो लगता है सारे इंसान को एलियन चुरा ले गए और मैं इस शेरनी के साथ किसी कैद खाने में कैद हूँ । जिसके बोलने से पहले संगीत सुनाई देता था अब ऐसा लगता शोले फ़िल्म का गब्बर सिंह पूछ रहा हो सिर्फ सोते रहोंगे या कुछ घर का काम भी करोगे । शनि देव महाराज की नज़र टेढ़ी हो गई की एक महामारी ने पूरी दुनिया को हिला के रख दिया अब तो घर जेल लगने लगा और अब तो नई नवेली दुल्हन , दुल्हन नही उस जेल की जेलर लगने लगनी है, जिसका मैं एक मात्र कैदी हूँ।
पत्नी महोदया की रोज़ाना नई नई ख्वाहिशे कैसे पूरी करु समझ नही आता । अगर पूरी करु तो बाहर सड़को पे घूम रहे वर्दी धारक महापुरुष संटिया मार मार के पिछवाड़े पे भारत का नक्शा बना देते है और न पूरी करु तो जेलर के हंटर चलने लगते है । पति बेचारा कहाँ जाए '' एक तरफ कुवां दूजी तरफ खाई बीच मे फ़ँस गया भाई '' अब तो लगता है मोदी जी ने सही कहा था कि वे भारत को स्वर्ग बना देंगे। यदि भारत स्वर्ग बन गया है तो मेरा जीवन नर्क , क्यों !! यदि यही स्वर्ग है तो मुझे नहीं चाहिए ऐसा स्वर्ग, अब मैं समझा आखिर लोग सन्यासी क्यों बन जाते है वो भी मेरी ही तरह पत्नी प्रताड़ित होते है । काश मैं भी चौकीदार की तरह अपनी पत्नी को छोड़ के भाग जाता " इतना सोचने मात्र से ही दिल खुश हो गया " मगर इतनी वीरता का काम मेरे बस का नही ये तो केवल महा पुरुष ही कर सकते है , आप इतिहास के पन्ने पलट के देखिए जिन लोगों ने अपनी पत्नी को छोड़ दिया वे सभी महापुरुष बन गए। मैं कब महा पुरुष बनुगा ये बताना पाना मुश्किल क्योंकि मैं चौकीदार की तरह महान नही हूँ। मैं उदास बैठा यही सोच रहा था कि बाहर जाने को मिलेगा । तभी श्रीमती जी चाय का कप लिए कमरे में आई मैं उससे अनजान अपनी ही दुनिया मे खोया हुआ था , उसने प्यार से कहा, एजी !! सुनिये चाय पी लीजिये। ऐसा लगा मानो सारी थकान उतर गई मेरे पास बैठ के वो बोली अरे परेशान क्यों होते हो कुछ दिनों बाद लॉक डाउन खत्म हों जायेगा फिर आप पूरा दिन घर मे नही रहेंगे बस इसी लिए आपको परेशन कर रही थी ताकि जब आप काम पे चले जाए मैं अकेले वो सारे पल संजो के रख सकू और आपकी न मौजूदगी में आपको अपने पास पा सकू । अकेला घर बहुत काटता है । तब मझे ये अहसास हुआ कि हम मर्दो का क्या पूरा दिन काम करते है इसी बहाने लोगो से मिकते रहते है दोस्तो के साथ चाय पानी करते रहते है । कैद का जीवन तो हमारी घरो में पत्नियां गुजारती है कितना मुश्किल है अकेले घर की चार दिवारी में कैद रहना । हमारा इन्तिज़ार करते करते पूरा दिन काटना आसान नही है। अपना घर परिवार छोड़ कर किसी अनजान के साथ ज़िन्दगी काटना उसका घर संभालना आसान नही है। तभी मेरे मुंह से निकला भाड़ में गया महापुरुष बनना मैं ऐसा ही ठीक हूँ । श्रीमती जी बोली क्या कह रहे हो मैने कहा कुछ नही मेरी गब्बर सिंह ।हा हा हा!!
तभी श्रीमती जी बाहों बाहे डालती हुई बोली सुनों जी आम का मौसम गया है बहुत मन हो रहा आम खाने का तभी मन मे वर्दी धारक महापरुषों का ध्यान आ गया। फिर से देश का चौकिदार याद आने लगा । वह बोली क्या हुआ मैने कहा वो तो बुज़दिल था मैं नही । श्रीमती जी फिर से असमंजस में कहां कि बात कर रहे हो । मैन कहा कुछ नही शाम को आम आ जाएगा। सोचा मैं भी पूछ लू आम काट के खाओगी या चूस के अरे ये कोई रजिस्टर सवाल तो है नही जो केवल महापरुषो से ही पूछा जा सकता है । श्रीमती जी ने प्यार से गले लगा लिया यकीन जानिए तभी मुझे लगा स्वर्ग तो मेरी बाहों में है। बस इसी तरह नोक झोंक करते हुए जिंदगी कट रही है। यकीन जानिए महानता पत्नी को छोड़के भागने नही उसका हाथ थाम के चलने में है। यही असल जीवन है।
लेखक
मोहम्मद नियाज़ सिद्दीकी
एडवोकेट
प्रदेश कोषाध्यक्ष अदिवक्ता विचारक मंच
पत्नी महोदया की रोज़ाना नई नई ख्वाहिशे